ज्योति बा फुले के आदर्शों, स्त्री शिक्षा के लिए उनके बलिदान को याद किया गया

प्रोग्रेसिव इंग्लिश मीडियम स्कूल में आज 28 नवंबर को महात्मा फुले जयंती मनाई गई, स्कूल की शिक्षिकाओं अहिरे तेजश्री व हीरे नीलम ने महात्मा ज्योतिबा फुले के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अभिवादन प्रस्तुत किया. इस अवसर पर स्कूल के प्राचार्य संजय वाघ सर ने महात्मा ज्योति बाफुले के जीवन के बारे में बताया।

संजय वाघ सर ने कहा कि महात्मा ज्योतिराव फुले 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक, समाजसेवी, लेखक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थें. आज इनकी जयंती है. सन् 1827 में महाराष्ट्र के सतारा में ज्योतिराव फुले का जन्म हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं और दलितों के उत्थान में लगा दिया. वह हमेशा से ही स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने और बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए काम किया करते थें.

आज देश में हर महिला स्वतंत्र है. महिलाएं हर क्षेत्र में आदमी के समान काम कर रही हैं. अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक, सामाजिक और पारंपरिक बाधाओं को तोड़ रही हैं, लेकिन ऐसा पहले नहीं था. इस बदलाव के पीछे सिर्फ महात्मा ज्योतिराव फुले का  हाथ था.

आज महिलाएं स्कूल- कॉलेज में स्वतंत्र रूप से पढ़ सकती हैं। किसी संगठन में पुरुषों के समान ही काम करने के साथ समाज के उत्थान में अपना योगदान दे सकती हैं। अपने सपनों को साकार कर सकती हैं, तो इस सब का श्रेय भारत की कुछ महान विभूतियों को जाता है। इन्हीं विभूतियों में से एक नाम 'महात्मा ज्योतिराव फुले' का है। ज्योतिराव का परिवार पेशवाओं के लिए फूलवाला के तौर पर काम करते थे। इस कारण उन्हें मराठी में 'फुले' कहा जाता था। उस दौर में समाज में फैली महिला विरोधी कुरीतियों, उनके शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले 19वीं सदी के महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के प्रयासों को हमेशा महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभूतपूर्व योगदान की तरह याद किया जाता है। ज्योतिबा फुले एक समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता हैं। ज्योतिबा फुले ने अपना पूरा जीवन महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने, बाल विवाह को रोकने, विधवा विवाह का समर्थन करने में लगा दिया।

आज महात्मा ज्योति बा फुले जयंती के अवसर पर उनके बलिदानों को याद करते हुए हमें उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

इस अवसर पर संजय वाघ सर, जमीर सर भी मौजूद रहे।

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